द गर्ल इन रूम 105
मैं उनके पास गया और खाने की किसी अच्छी जगह के बारे में पूछा।
"अहदूस रेस्तरां ट्राय कीजिए,' हल्की दाढ़ी वाले एक किशोर ने कहा।
'शुक्रिया,' मैंने उसकी खूबसूरत हरी आंखों को देखते हुए कहा। जब सौरभ और मैं जा रहे थे, तो लड़के ने फिर कहा, 'आप लोग इंडिया के हैं?"
मैं इस सवाल से चौंक गया। "क्या तुम इंडिया के नहीं हो?"
"मैं कश्मीरी हूं.' उसने कहा। उसके सभी दोस्त हंस दिए। एक ने तो ताली भी बजाई। "लेकिन कश्मीर इंडिया का ही हिस्सा है, मैंने कहा।
'हमें इंडिया से नफ़रत है, ' दूसरे लड़के ने बहुत सामान्य तरीके से कह दिया।
"नफरत?" मैंने कहा। "चलो, चलते हैं, सौरभ ने कहा। उसके चेहरे पर डर साफ झलक रहा था। आपके मशविरे के लिए
'शुक्रिया अब हम चलते हैं।"
लगा, यह सुनकर लड़के हंस दिए। "घबराइए नहीं, हम लोग टेररिस्ट नहीं हैं, एक लड़के ने कहा। दूसरे लड़के ने भी यही बात दोहरा दी। ऐसा जैसे वे ये तमाम बातें कहने के आदी हैं।
*मैं भी राजस्थानी हूँ, लेकिन में इंडियन भी हूं।' मैंने मुस्कराते हुए कहा । 'अपने देश से नफ़रत मत
कीजिए।"
"इंडिया हमारा देश नहीं है। इंडिया को हमसे कोई सरोकार नहीं।' "मैंने कहा, चलो, सौरभ ने मेरी पसलियों पर कोहनी मारते हुए कहा। वह सही था। मैं अपने ही इस नियम
को तोड़ रहा था कि कश्मीर में पॉलिटिक्स की बात नहीं करनी है।
"तुम्हारे नाम क्या है?" मैंने सौरभ की अनदेखी करते हुए कहा।
"मैं करीम हूँ, और ये शाकिब है, हरी आंखों वाले ने दूसरे की ओर इशारा करते हुए कहा। बाकी के तीनों
लड़के अपने फोन में ही उलझे रहे। "तुम लोग क्या काम करते हो?"
वे एक-दूसरे की ओर देखने लगे। "पठाई?" मैंने कहा
उन्होंने सिर हिलाकर मना कर दिया।
"काम?"
उन्होंने फिर से सिर हिलाकर मना कर दिया।
"हम कुछ नहीं करते हैं। यहां पर कोई काम ही नहीं है।' करीम ने कहा "यहां तो मूबी थिएटर भी नहीं हैं, जहां पर बेरोज़गार लोग जाकर बैठ सकें, दूसरे ने कहा और सभी हंस
सौरभ मुझे वहां से खींचकर अपने साथ ले गया। लेकिन करीम की हरी आंखें मुझे देर तक याद आती रहीं।
'कल तुम उन लड़कों से क्यों बात करने लगे थे?' सौरभ ने कहा हमने अपनी हाउसबोट से एक लेफ्ट टर्न लिया था और वजीर बाग़ जाने के लिए झेलम नदी के किनारे-किनारे चल रहे थे। हम फलक रेस्तरां वाली गली में मुड़ गए। जारा के पुराने पते का यही लैंडमार्क था। "मेरी दिलचस्पी जाग गई थी। तुमने देखा नहीं, उसने किस अंदाज में पूछा था कि क्या हम इंडिया से हैं?"
"शायद उसे लगा हो कि तुम विदेशी हो।" "मैं दाल-रोटी की तरह देसी दिखता हूँ। और फिर उसने कहा "मैं इंडियन नहीं हूं, मैं कश्मीरी हु" इन लोगों के साथ क्या गड़बड़ है?"
'अब तुम समझे कि यहां पर इतनी आर्मी क्यों है। भगवान का शुक्र है। उनके बिना तो यहां डर के मारे मैं
दिए।
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